ॐ प्रणव, यह प्राणों में व्याप्त होने वाला ब्रह्माण्ड का अदिनाद है |
क्रिया अपने सभी कर्मों को अपनी चेतना की विषय वस्तु मान कर सजगतापूर्वक किया गया कर्म ही क्रिया है | यह क्रिया योगियों के लिए साधन भी है और साध्य भी |
बाबाजी क्रिया योग परम्परा के गुरु हैं जिन्होंने इस प्राचीन शिक्षा का संश्लेषण कर इसे आधुनिक काल में प्रवर्तित किया | परमहंस योगानन्द की पुस्तक "योगी कथामृत" में इन्हीं बाबाजी का उल्लेख है |
नमः अभिवादन एवं आवाहन |
ॐ अन्तःकरण में गुंजायमान आदिनाद |
ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ, यह गुरुमंत्र हिमालय के सिद्ध क्रिया बाबाजी नागराज से तारतम्य स्थापित कर हमें उनकी कृपा से जोड़ने की शक्ति रखता है |, इस मंत्र के माध्यम से वह अपने भक्तों को दर्शन देते हैं | इस मंत्र के जप से सहस्रार चक्र में अवस्थित परम चेतना अर्थात अन्तःगुरु से सान्निध्य हो जाता है | इस मंत्र में चैतन्य ऊर्जा है | इस मंत्र में शक्ति है क्योंकि मंत्र से ही गुरु अपनी चैतन्य ऊर्जा अपने शिष्य में प्रविष्ट करते हैं | मंत्र के मूल में गुरु के शब्द हैं और मंत्र तो स्वयं साक्षात् गुरु हैं |
‼ॐ नमः ॐ ‼ ----- ‼ॐ क्रिया बाबाजी नमः ॐ‼ ----- ‼जय गुरु जय‼
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